वो हसीन शाम

उस शाम को याद करता हूं,

तो दिल मुस्कुराता है ….
उस वक़्त को महसूस करता हुं,
तो दिल खूश हो जाता है ….
मदहोशी का था वो समा
साथ थी मेरे वो अपसरा ….
उस लम्हे को दिल मे बसा लिया मैने,
कह रहा था दिल: थाम ले इस पल को….
उस शाम वो मुस्कुराहट से हुआ मै रुबरू,
पलके झुकाके, पास मेरे बैठी वो माहेरू….
उसका हाथ जो थामा मैने,
फ़िज़ाओ क रुख बदल सा गया ….
उस हसीन पल को याद करता हूं,
तो दिल मुस्कुराता है ….
उसके एहसास का तसव्वुर करता हुं,
तो दिल खूश हो जाता है ….
आज खूश हुं मै, उसका साथ जो है,
एहसास है जन्नत का, वो पास जो है….
उस शाम को याद करता हूं,
तो दिल मुस्कुराता है ….

ये दिल कहता है

ये दिल कहता है:

इन लम्हों मे घूमू,
इन गहराइयों मे उतरू,
इन उंचाइयों को छू लू,
इन हवाओं मे बह लू
ये दिल कहता है,

मै ज़िन्दगी जी लू ….
ये दिल कहता है,
लम्हों को समेट लू,
ख्वाबों को महसूस करू,
धडकनों से बातें करूं,
अपनी पल्को से मोती चूनू,
ये दिल कहता है,
तसव्वुर को हक़ीकत करूं…..
ये दिल कहता है,
अपनी सांसों में खूश्बू भरू,
इस आवाज़ को मीठा करू,
इन निगाहों मे नज़ाकत भरू,
अपने जज़्बातो का इज़्हार करूं,
ये दिल कहता है,
इस ज़िन्दगी को मै रोशन करूं….